मैं बागबाँ हूंँ
मैं बागबाँ हूंँ, फूल खिलाने जा रहा। इस उपवन से उपवन में, मैं सेवा करने जा रहा। जो फूल खिले
Read Moreमैं बागबाँ हूंँ, फूल खिलाने जा रहा। इस उपवन से उपवन में, मैं सेवा करने जा रहा। जो फूल खिले
Read Moreवो विज्ञ होकर भी मूर्ख ही है, जो तरुवर सा है झुका नहीं। उस जीवन का कोई अर्थ नहीं, जो
Read Moreये कपकपाती ठंढ है, चल रही शरद बयार है। पूस की इस आधी रात में, एक मजदूर है बैठा हुआ,
Read Moreबनना है तो कोहिनूर तू बन, गोबर में भला क्या रखा है ? चर्चा करना है तो इंसानियत पर कर,
Read Moreहंँस रहा है फूल हम पर, पूछता है तूने क्या किया ? इस जहांँ में पैदा होकर, बोलो है किसका
Read Moreदिल में दर्द है तो बात है, बेदर्दों से न कोई सवाल है। आज देश का जो बुरा हाल है,
Read Moreआज का युग विज्ञान का युग है। ऐसी स्थिति में हर व्यक्ति की सोचने और समझने की नजरिया वैज्ञानिक हो
Read Moreभला हो अंतर्जातीय प्रेम विवाह का, जो आज नफरत को मिटा रहा। जाति और धर्म का, सीमा को लांघ रहा।
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