पंच चामर छंद : छटा बिखेर प्रेम की
अतीत में भविष्य में, नहीं प्रवेश चाहिए सदैव वर्तमान में, अचिंत हो विराजिए।। विकार राग द्वेष का, न चित्त में
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Read Moreपथिक को मंजिल मिलेगी सतत यात्रा के सहारे लिए आशा स्वाति जल की चकोरी नभ को निहारे झरे झरना चीर
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