बाज़ार
वर्षों से रमा उसी से सब्जी लिया करती थी। पर, न जाने क्यों जितनी उसकी सब्जियाँ ताजी होती थीं, उतनी
Read More“सुहाना, आंटी जी किधर हैं? गांव वापिस चली गईं क्या?” सुधा जी को घर में न देख सुहाना की सहेली
Read More-1-न उँगलियों में हलचल /न था कोई निशान /लगता है.. आज फिर डस गया /विश्वास के किसी को /छुपा हुआ…आस्तीन
Read More“माँ ! सब चीजें ध्यान से देख लो। कोई कमी न रह जाए। ” पिता के श्राद्ध की तैयारी में
Read Moreलोगों की दोहरी मानसिकता पर बहुत गुस्सा आ रहा है। ऐसा लगता है जैसे दिमाग़ फट जायेगा। फेसबुक, ट्विटर हर
Read Moreसब कुछ है, पर न जाने क्यों हमारा ही घर खुशियां तलाशता रहता है, मन ही मन रमा सोच रही
Read Moreबला की खूबसूरत थी सुगंधा। मासूमियत ऐसी थी कि किसी को भी दीवाना बना दे। आजकल रेशमा आंटी के बेटे
Read Moreछपास की ललक तो मोहनलाल जी में शुरू से ही थी, पर अच्छे लेखन के बावजूद उनका लेखन फेसबुक
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