ग़ज़ल
जो वाकिफ़ ख़ुद को अपनी ज़ौ-फ़िशानी से नहीं रखतात’अल्लुक वो ही बेहतर ज़िंदगानी से नहीं रखताजिसे मालूम है ये ख़ल्क़
Read Moreख़िलाफ़ झूठ के जाओगे मारे जाओगे, जो साथ सच का निभाओगे मारे जाओगे। अँधेरा घर हुआ है मोम का नसीब
Read Moreइस जहाँ में कोई माँ सा पारसा मुमकिन नहीं,चाहे जो बेलौस ऐसा आश्ना मुमकिन नहीं।रूठ जाए माँ तो कुछ कहती
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