हास्य-व्यंग्य : चला मुरारी दूल्हा बनने!
अपने मुरारी भैया बहुत ही होशियार (खुद को समझने बाले) होनहार एवं प्रगतिशील युवा हैं। चालीस के हो गए हैं
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Read Moreसभी को गणतन्त्र दिवस की मंगलकामनाएं । आज कुछ देश के लिए ! ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ हर एक गली मोहल्ले में जब
Read Moreदेखो माँ ये पतझड़ में क्यों सब मुरझाया लगता है आता है जब नव बसंत मन कूह कूह तब करता
Read Moreअभी कुछ दिन पूर्व मार्क जुकेरवर्ग दिल्ली आये थे बहुत से लोगों से मिले आगरा जाकर ताजमहल भी देखा और
Read Moreबहुत समय पहले की बात है तब कि जब बहुत हरियाली थी वन थे बहुत सारे जंगल थे ऐसे ही
Read Moreजब कहीं लाबा सुलगता है भीतर !बहुत भीतर तब ! तब आग और तपिश दिखाई नहीं देते मौन के भीतर
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