पतली गली में
शहर कीपतली गली,बड़ी उदासडरावनी,लोग शब्दहीन बेचैनभ्रम पालेमकान कीखिड़की सेमुँह निकाले झाँकते इधर -उधर! पतली गली मेंएक दुकानदुकान पर बैठापतला इंसानसंभाल
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Read Moreदिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी में नवांकुर साहित्य सभा द्वारा भव्य आयोजन किया गया। देश के अनेक राज्यों से पधारे कवियों का
Read Moreपुस्तक: कहो फिर भी (कविता संग्रह) प्रकाशक: शब्दांकुर प्रकाशनJ -2nd – 41, मदनगीर, नई दिल्ली – [email protected] लेखक: अशोक बाबू
Read Moreशब्दांकुर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित अशोक बाबू माहौर की पहली काव्य पुस्तक ‘कहो फिर भी ‘ का विमोचन बड़े शान सम्मान
Read Moreधूप जैसे ही निकली पर फैलाने लगी, सर्द हवाएं बहनें लगी खुलने लगी खिड़कियां मकानों की। लोग बाहर टहलने लगे
Read Moreविशाल अंधकार में चलने की कोशिश कर रहा हूँ पथ ऊबड़ – खाबड़ काँटे अनेक घास सूखी – सर्री फैली
Read Moreअभी अभी स्नानकर निकली है मधुभाषी चिड़िया। रेत पर बैठी सेक रही है पर अपने धूप में, उतावली सी हो
Read Moreसुबह खिली धूप चिड़ियाँ चहकी महका उपवन लहराती घास मन मोहक मौसम। खुशनुमा लोग करते बातें अपनी परायी। घर- घर
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