पुस्तक – कहो फिर भी
पुस्तक: कहो फिर भी (कविता संग्रह) प्रकाशक: शब्दांकुर प्रकाशनJ -2nd – 41, मदनगीर, नई दिल्ली – [email protected] लेखक: अशोक बाबू
Read Moreपुस्तक: कहो फिर भी (कविता संग्रह) प्रकाशक: शब्दांकुर प्रकाशनJ -2nd – 41, मदनगीर, नई दिल्ली – [email protected] लेखक: अशोक बाबू
Read Moreशब्दांकुर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित अशोक बाबू माहौर की पहली काव्य पुस्तक ‘कहो फिर भी ‘ का विमोचन बड़े शान सम्मान
Read Moreधूप जैसे ही निकली पर फैलाने लगी, सर्द हवाएं बहनें लगी खुलने लगी खिड़कियां मकानों की। लोग बाहर टहलने लगे
Read Moreविशाल अंधकार में चलने की कोशिश कर रहा हूँ पथ ऊबड़ – खाबड़ काँटे अनेक घास सूखी – सर्री फैली
Read Moreअभी अभी स्नानकर निकली है मधुभाषी चिड़िया। रेत पर बैठी सेक रही है पर अपने धूप में, उतावली सी हो
Read Moreसुबह खिली धूप चिड़ियाँ चहकी महका उपवन लहराती घास मन मोहक मौसम। खुशनुमा लोग करते बातें अपनी परायी। घर- घर
Read Moreहे! नववर्ष क्या साथ लाए हो अपने? ढ़ेरों खुशियाँ उपहार, उमंग, अच्छाइयाँ, गर नहीं तो मैं नहीं कहूँगा नववर्ष न
Read Moreमुझे पूरा विश्वास है उस मकान के पीछे आज भी जिंदा होगा नन्हा पौधा जो रोपा था कल परसों मैंने|
Read Moreढली हुयी शाम उतर आयी फिर से, ड़रने लगे बच्चे मगर चाँद ने साहस दिलाया. हथेली पर चाँदनी जगमगाती रोशन
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