Author: अशोक बाबू माहौर

कविता

पतली गली में

शहर कीपतली गली,बड़ी उदासडरावनी,लोग शब्दहीन बेचैनभ्रम पालेमकान कीखिड़की सेमुँह निकाले झाँकते इधर -उधर! पतली गली मेंएक दुकानदुकान पर बैठापतला इंसानसंभाल

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समाचार

नवांकुर साहित्य सभा द्वारा अशोक बाबू माहौर हुए सम्मानित

दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी में नवांकुर साहित्य सभा द्वारा भव्य आयोजन किया गया। देश के अनेक राज्यों से पधारे कवियों का

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क्षणिका

क्षणिकाएं

1) कड़ी धूप कड़ी धूप उतरी गर्मी सिर पर भारी पसीने से भीगे लोग ढूँढते छाया नीम, बरगद, पीपल की,

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समाचार

पुस्तक ‘ कहो फिर भी ‘ का हुआ विमोचन

शब्दांकुर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित अशोक बाबू माहौर की पहली काव्य पुस्तक ‘कहो फिर भी ‘ का विमोचन बड़े शान सम्मान

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कवितापद्य साहित्य

चलने की कोशिश कर रहा हूँ

विशाल अंधकार में चलने की कोशिश कर रहा हूँ पथ ऊबड़ – खाबड़ काँटे अनेक घास सूखी – सर्री फैली

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कवितापद्य साहित्य

अभी – अभी निकली है

अभी अभी स्नानकर निकली है मधुभाषी चिड़िया। रेत पर बैठी सेक रही है पर अपने धूप में, उतावली सी हो

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