ग़ज़ल
कभी मैंने जो उनकी याद में दीपक जलाये हैं सुनहरी सांझ में पंछी यूं घर को लौट आये हैं नहीं
Read Moreमेरे पहाड़ में उगते हैं आज भी प्रेम के फूल , और घासनियों पर उगती है सौहार्द की दूब ;
Read Moreलिखेंगे गीत वफाओं के, जरा सी शाम ढलने दो लिखेंगे गीत दुआओं के, जरा सी शाम ढलने दो मौसम के
Read Moreजहरीली हवा घुटती जिंदगानी दोस्तो यही है नये दौर की कहानी दोस्तो पर्वतों पे देखो कितने बाँध बन गये जवां
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