कविता – इस उतरती सांझ में.
चलो इस उतरती सांझ में पहाड़ की गोद में बैठ कर सिंदूरी धूप को शिखर चूमते हुए देखें । चलो
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Read Moreआये हैं तो जाना होगा यह भी जीवन का इक सच है | कर्ज लिया तो चुकाना होगा यह भी
Read Moreझुलसा साधो नगर –नगर है ,झुलसी गलि –गलि | साधो हवा बुरी चली ,साधो हवा बुरी चली || बम –गर्जन
Read Moreबरसों बाद फिर गया हूं मैं उसी जगह यहां से शुरू किया था जिंदगी का सफर एक बाईस वर्षीय युवा
Read Moreकुदरत ने कहा… रात नीले आसमान ने मुस्कुराकर कहा कितना निर्मल हो गया हूं मैं आदमी ने मुझे धूल धुएं
Read Moreगरीब की दो रोटियां का बोझ इतना भारी क्यों हो जाता है जिसे दौलत का बाजार उठा नहीं पाता ।
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