कविता
विकास की सीढ़ी पर…. कच्चा मांस खाने पशुओं की खाल ओढ़ने और कबीलों में रहने से शुरू हुआ जीवन आज
Read Moreअनुभव ने लाला मदन लाल को कहा- ” मुझे बढ़िया से जूते दिखाओ ‘। लाला का नौकर उसे जूते दिखाता
Read Moreचलो इस उतरती सांझ में पहाड़ की गोद में बैठ कर सिंदूरी धूप को शिखर चूमते हुए देखें । चलो
Read Moreआये हैं तो जाना होगा यह भी जीवन का इक सच है | कर्ज लिया तो चुकाना होगा यह भी
Read Moreझुलसा साधो नगर –नगर है ,झुलसी गलि –गलि | साधो हवा बुरी चली ,साधो हवा बुरी चली || बम –गर्जन
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