जीवन उत्सव
रोज सुबह सूरज निकलता है हर शाम ढल जाता है आज फिर बीते कल में बदल जाता है । इसलिए
Read Moreरोज सुबह सूरज निकलता है हर शाम ढल जाता है आज फिर बीते कल में बदल जाता है । इसलिए
Read Moreचलो इस उतरती सांझ में पहाड़ की गोद में बैठ कर सिंदूरी धूप को शिखर चूमते हुए देखें । चलो
Read Moreअँधेरी रात में भी भोर की आस रखना तुम | अँधेरा नित नहीं रहता यही विशवास रखना तुम ||
Read Moreभूला नहीं वो धूप में झोंका बयार का तेरी हसीं जवानी वो लम्हा प्यार का खिलते हुए वो फूल ,मंजर
Read Moreनिर्दयी भूख अभी सुबह हो ही रही थी. सूर्य की लालिमा धरती तक नहीं पहुंची थी. मैं किसी जरुरी कार्य
Read Moreकभी एहसास को अपने …. कभी एहसास को अपने कभी जज्बात को अपने | लिखा करना मेरे दिल तू कभी
Read Moreमेरी उदासी का सबब मैं रोज देखता हूँ स्कूल के प्रांगण से नाले के पार टैंटों के आस –
Read Moreअदब की दुनिया के जगमगाते सितारों से मिलना जैसे ज़ियारत हो गई पहले दिन तय हुआ था कि
Read Moreइज्जतदार लोग भले ही वह शहर की बदनाम औरत थी | परन्तु उसके अन्दर भी एक नेक दिल था |
Read Moreतुम न मिलते तो जब तुम मिले तो शायद इसे किस्मत ही कह सकते हैं बरसों बाद जीवन में
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