विरह के गीत
काली-काली हे बदरिया पिया से जा के क ह संदेशिया ऐसे में, सजन काहे हैं परदेशिया। कैसे कहू मैं काली
Read Moreकाली-काली हे बदरिया पिया से जा के क ह संदेशिया ऐसे में, सजन काहे हैं परदेशिया। कैसे कहू मैं काली
Read Moreवृक्ष जन-जन में जागृत हो,वृक्ष के प्रति सम्मान। धूप ताप से आराम दे,जलवायु हो समान।। सादा विचार रख के, सबका
Read Moreफिसलते नीयत का बोलवाला जिधर देखो नजर आए घोटाला। सादा जीवन नेक संदेश सब चढ गए विलासिता की भेंट। स्वार्थी
Read Moreमुरझाये चेहरे को हमेशा मुस्कान देती माँ तो माँ है देखते ही दर्द पहचान लेती। जब कभी उदास हो जाऊँ
Read Moreबाहर निकलो घर से मतदान करते चलो अपने दम पर नये कर्मठ सरकार बनाते चलो। खूबसूरत लोकतंत्र का तुम ही
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