किसान
‘सिर्फ भाग-दौड़ भरी जिन्दगी, जिन्दगी नहीं होती साहब! जिन्दगी के कुछ वसूल है, कुछ सिद्धान्त है, जिन पर चलना और
Read Moreकुछ दर्द है दबा हुआ जो कुछ देर के लिए बाहर आना चाहता है, सीने के दरवाजे को धीरे से
Read Moreमन के उपजे कुछ भावों पर, कुछ भी लिखना काव्य नहीं है। दर्द करे ना जिसमें
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