गीत/नवगीत

गीत : कुछ भी लिखना काव्य नहीं

मन  के  उपजे  कुछ  भावों पर,
कुछ भी लिखना काव्य नहीं है।
दर्द    करे    ना   जिसमें   बातें,
जीवन  वह  संभाव्य   नहीं  है।।

आहट   के    पीछे    से    आते,
भावों   का  कुछ  भान  नहीं   है।
मन  में  उपजी  कितनी   पीड़ा,
पीड़ा   का   अनुमान   नहीं   है।
महाकाश   के   महामरण   का,
दुनिया  को  पहचान   नहीं   है।
अखिल  विश्व ने जान लिया है,
कवि   बनना  आसान  नहीं  है।
शब्द   पिरोना    उसमें   जीना,
सबका  यह  सौभाग्य  नहीं  है।
दर्द    करे    ना   जिसमें   बातें,
जीवन  वह  संभाव्य   नहीं  है।।

लहूँ  दिखा  है  आँखों   में   पर,
जीवन  का   अहसास  नहीं  है।
सपने   आँखों   में   पलते   पर,
सपनों  का   इतिहास  नहीं   है।
ह्रदय    तरंगें   जब   उठतीं   हैं,
भूख  नहीं  तब  प्यास  नहीं  है।
काव्य  वेदना   क्या   होती   है,
दुनिया  को   आभास  नहीं   है।
सदा   अकेला   जीवन   जीना,
जीवन  का   दुर्भाग्य   नहीं   है।
दर्द    करे    ना   जिसमें   बातें,
जीवन  वह  संभाव्य   नहीं  है।।

श्रम  बिन्दू   को  सदा   नोचना,
खुशियों   का  आधार  नहीं   है।
पीड़ा  का  अभिषेक   करूँ   मैं,
इतना  भी   अधिकार  नहीं   है।
गीत ग़ज़ल में कुछ भी लिख दूँ,
कविता  का  यह  सार  नहीं  है।
प्रतिनायक  का   मौन   साधना,
तब   हमको  स्वीकार  नहीं  है।
पृष्ठ  भूमि  पर   कविता    रोये,
अध्यायों  का   भाग्य  नहीं   है।
दर्द    करे    ना   जिसमें   बातें,
जीवन  वह  संभाव्य   नहीं  है।।

मन  की   पावस   बूदें   छलकें,
भावों   का    आयाम   नहीं   है।
दीपक  बनकर  जलता  रहता,
जीवन   में   आराम    नहीं    है।
अवसादों  में  कविता  लिख दूँ,
खुशियों  का   पैगाम   नहीं   है।
अभी  समर्पण   के   भावों  की,
मध्य  निशा  है  शाम  नहीं  है।
भाव  पक्ष   या   कला  पक्ष  में,
कुछ भी लिख दूँ काव्य नहीं है।
दर्द    करे    ना   जिसमें   बातें,
जीवन  वह  संभाव्य   नहीं  है।।

अतुल कुमार यादव

अतुल कुमार यादव

पेशा- साफ्टवेयर इंजी० रुचि : साहित्य लेखन-विधा : गीत, ग़ज़ल, नज़्म, मुक्तक, कहानी, कविता, उपन्यास।