ग़ज़ल – चिड़िया किधर गई
शाम सवेरे आती थी वह चिड़िया किधर गई। गीत खुशी के गाती थी वह चिड़िया किधर गई। गहरा अपनत्त्व बना
Read Moreशाम सवेरे आती थी वह चिड़िया किधर गई। गीत खुशी के गाती थी वह चिड़िया किधर गई। गहरा अपनत्त्व बना
Read Moreउर्वर भूमि के मालिक उद्यमी कृषक सुन।नींव के सृजक प्रभाकर श्रमिक सुन।तेरे खून पसीनें में तो सूरज है।सुन्दर काएनात तिरी
Read Moreनारी जन्नत की परिभाषा।नारी पीढी की अभिलाषा।नारी मन्दिर में जैसे ज्योति।नारी समता से भरी गोदी।नारी शीतल नीर समन्दर।नारी सचखण्ड में
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