गीतिका
सभी पालते श्वान, खाते यदि वे घास।पीछे है इंसान, मत समझें परिहास।। कर्म मनुज का नित्य,पथ पर देखें आप,अनसुलझा औचित्य,कुक्कर
Read Moreजी महोदय! जी मान्यवर!!यह मौसम तो आम का ही है।किंतु आम के मौसम में टमाटर की चर्चा ही खास है।आम
Read Moreमुर्गी अंडा देती रोज,मुर्गा बाँग लगाता क्यों? मोर शुभंकर पक्षी है,किसको नाच रिझाता क्यों? साँप रेंग कर चलता है,पाँव न
Read Moreअम्मा चलें आज अमराई।झूलें झूला बहना – भाई।। नभ में घटा उमड़कर आई।हवा चली ठंडी पुरवाई।।यहाँ वहाँ छाया भी छाई।अम्मा
Read Moreपीहर आई नारि नवेली सावन आया द्वार।अमराई में धूम मचातीं उर में खिलते फूल।झूला डाला तरु रसाल पर रहीं गोरियाँ
Read Moreबरसाने की राधिका, नंदगाँव के श्याम।मेरे मन में आ बसो, करता ‘शुभम्’ प्रणाम।। उमड़ रहे घन व्योम में,गरज-गरज चहुँ ओर,चपला
Read Moreचला डाकिया लेकर डाक।डगर नापता सीधी नाक।। चढ़ा वाहिनी दो चक्रों की,छान रहा दोपहरी खाक। झोले में हैं भरीं चिट्ठियाँ,बढ़ा
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