व्यंग्य – आदमी और कूड़ा
आदमी का कूड़े के साथ चोली- दामन का संबंध है।यह तो हो ही नहीं सकता कि जहाँ आदमी पाया जाए
Read Moreआदमी का कूड़े के साथ चोली- दामन का संबंध है।यह तो हो ही नहीं सकता कि जहाँ आदमी पाया जाए
Read Moreसब कहते हैं मुझको घण्टा।पिट-पिटकर क्या मिलता घण्टा? जो भी मंदिर में घुस आता,सबसे पहले पिटता घण्टा। बहरे हैं क्या
Read Moreतन सूखामन लगा नहानेबरस रहे आषाढ़ी बादल। साठ बरसपहले अतीत मेंपहुँच चुका है ये मेरा मन।देह उघाड़ेजाऊँ बाहरबरस रही हैं
Read Moreचमत्कार की वादियों में चमत्कारवादियों की चाँदी है।देश के बाबाओं ने बहुत पहले से कर रखी ये मुनादी है।बड़े -बड़े
Read Moreउपवन में कलियाँ खिलीं,बगरी विमल बहार।रिमझिम रह-रह दौंगरे, खोल रहे नव द्वार।।खोल रहे नव द्वार, भेक टर-टर-टर बोलें।कर भेकी आहूत
Read Moreमाता मेरी शारदा, विमल विशद विश्वास।कण -कण में उर के बसा,कवि वाणी का दास।। भाग्य मनुज का जन्म है, कवि
Read Moreविवेक ने आँखों परपट्टी बाँध रखी है,बिना किए कर्मबाबाओं की कृपा सेसब कुछ मिल जाए,यही अंतिम उपाय। न पढ़ना जरूरीन
Read Moreरौंदा अपने अधीनस्थ कोकैसी बेढब रीति चली है। छोटी मछली को खा जातींबड़ी मछलियाँ बीन -बीन कर।कुचले जाते नित गरीब
Read Moreनेताजी करते नहीं, जन जनता से प्यार।आता समय चुनाव का,बाँटें प्यार उधार।। नेतागण चाहें नहीं, करना पूर्ण विकास,कौन उन्हें पूछे
Read Moreआज के युग में आदमी से अधिक आदमी के फोटो का महत्त्व है।क्योंकि आदमी का क्या,वह तो कभी भी टाटा
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