व्यंग्य – साँची कहूँ तो
साँची कहूँ तो यह बात एकदम सच है कि सच को सच -सच कहने का साहस सब में सहज नहीं
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Read Moreसावन की सुस्वादु मिठाई।जीजी मेरी लेकर आई।। रक्षाबंधन पर्व मनाया।राखी लेकर हमको आया।।घेवर की मधुरता सुहाई।सावन की सुस्वादु मिठाई।। मधुमक्खी
Read Moreजागा बाग महकती कलियाँ।सावन आया झूलें सखियाँ।। गातीं कजरी गीत मल्हारें,मधुर – मधुर करतीं नित बतियाँ। झड़ी लगी पावस की
Read Moreकाले -भूरे बादल छाएशुभ सावन सरसाया है। विटप झूमते अंबर के तलहवा चली पुरवाई है।दिन में मानो रात हो गईहोती
Read Moreआदमी का कूड़े के साथ चोली- दामन का संबंध है।यह तो हो ही नहीं सकता कि जहाँ आदमी पाया जाए
Read Moreसब कहते हैं मुझको घण्टा।पिट-पिटकर क्या मिलता घण्टा? जो भी मंदिर में घुस आता,सबसे पहले पिटता घण्टा। बहरे हैं क्या
Read Moreतन सूखामन लगा नहानेबरस रहे आषाढ़ी बादल। साठ बरसपहले अतीत मेंपहुँच चुका है ये मेरा मन।देह उघाड़ेजाऊँ बाहरबरस रही हैं
Read Moreचमत्कार की वादियों में चमत्कारवादियों की चाँदी है।देश के बाबाओं ने बहुत पहले से कर रखी ये मुनादी है।बड़े -बड़े
Read Moreउपवन में कलियाँ खिलीं,बगरी विमल बहार।रिमझिम रह-रह दौंगरे, खोल रहे नव द्वार।।खोल रहे नव द्वार, भेक टर-टर-टर बोलें।कर भेकी आहूत
Read Moreमाता मेरी शारदा, विमल विशद विश्वास।कण -कण में उर के बसा,कवि वाणी का दास।। भाग्य मनुज का जन्म है, कवि
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