ग़ज़ल
कर्ता का खेल निराला है। बालू से तेल निकाला है।। तू समझ रहा मैं कर्ता हूँ, घड़ियों ने तुझको ढाला
Read Moreसावन आया वर्षा लाया। देखो काला बादल छाया।। लू गर्मी से मुक्ति मिली है। ठंडी – ठंडी हवा चली है।।
Read Moreवे अपने को कवि कहते हैं।कहते ही नहीं अपने नाम से पहले लिखते भी हैं। जब वे कवि हैं तो
Read Moreवीरबहूटी कहलाती हूँ। छूते ही शरमा जाती हूँ।। लाल रंग मखमल-सी काया। जिसने देखा रूप सुहाया।। रेंग – रेंग कर
Read Moreसबका अपना एक मौसम होता है। बिना मौसम के कुछ भी अच्छा नहीं लगता।आज पर्यावरण दिवस से पर्यावरण मित्रों का
Read Moreगर्मी आई ! गर्मी आई!! स्वाद भरी सौगातें लाई। बाड़ी में महके- ख़रबूज़े। लाल शहद – से हैं तरबूजे।। खीरा
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