गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 17/03/202023/03/2020 ग़ज़ल कभी ना लौटा वो गुज़रे हुए लम्हे की तरह मैं था जिसके लिए मंज़िल के रास्ते की तरह जो दिल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 14/03/202023/03/2020 ग़ज़ल न जाने किस मिजाज़ का सारा जहान हो गया ईमानदार आदमी भी बेईमान हो गया तहजीब और ज़मीर जिनके कर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 12/03/202023/03/2020 ग़ज़ल ये बात दीगर है कि चारागर को खुद ही पता न हो कोई दर्द ऐसा बना नहीं जिसकी जहां में Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 09/03/202023/03/2020 ग़ज़ल बच जाओगे इक बार तुम शायद सलीब से लेकिन बचा नहीं कोई अपने नसीब से हम जिसके इंतज़ार में घंटों Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 04/03/202023/03/2020 ग़ज़ल आगे क्या होगा ये अक्सर सोचता रहता हूँ मैं सोच कर फिर बेवजह ही खौलता रहता हूँ मैं लफ़्ज़ों की Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 28/02/202023/03/2020 ग़ज़ल लकीरें हाथ की सारी मिटा दो आगाही की किताबें सब जला दो चाहें तो नहीं कुछ भी नामुमकिन चलो उठो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 26/02/202023/03/2020 गज़ल चढ़ान ही नहीं फकत उतार भी है ज़िंदगी साया-ए-दीवार भी है, दार भी है ज़िंदगी मुतमईन भी हूँ, चाहतें भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 22/02/202023/02/2020 ग़ज़ल तेरी जफ़ाओं से मुझे कोई गिला नहीं चाहा मैंने जो भी वो अक्सर मिला नहीं मुश्किल है राह फिर भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 19/02/202022/02/2020 ग़ज़ल इश्क में तेरे कुछ ऐसे मर मिटा हूँ मैं तू ही तू है मुझमें अब कहाँ बचा हूँ मैं ऊगेंगे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 07/02/202007/02/2020 गज़ल करके सितम मुझपे वो मुँह छुपा रहे हैं हम ज़ख्म-ज़ख्म होकर भी मुस्कुरा रहे हैं निकलेगी इधर से ही उनकी Read More