गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 04/02/202022/02/2020 गज़ल खुदगर्ज़ी के बोझ तले रिश्तों को पिसते देखा है हमने हंसती आँखों से अश्कों को रिसते देखा है दिल में Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 29/01/202029/01/2020 गज़ल दगा होता रहा है साथ अपने यार पहले भी गुलों की चाह में हमने चुने हैं खार पहले भी इस Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 24/01/2020 ग़ज़ल आँख से खुदगर्ज़ी का पर्दा हटा कर देखना फासले माग़रूरी के सारे मिटा कर देखना पाप धुल जाएंगे तेरे पूरे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 19/01/202019/01/2020 गज़ल किसी मासूम की हंसी में थोड़ा खिलकर देखिए या किसी मज़लूम के अश्कों में ढल कर देखिए छोड़ जाना हाथ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 31/12/201901/01/2020 ग़ज़ल माना पहले से ताल्लुकात नहीं बुरे इतने भी पर हालात नहीं ख्वाब में अब भी रोज़ आते हैं जिनसे बरसों Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 23/12/201923/12/2019 ग़ज़ल जलूँगा कब तलक तनहा मैं शरारों की तरह, कभी उतरो मेरे आँगन में सितारों की तरह मैं एकटक तुझे देखा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 16/12/201916/12/2019 गज़ल समझौता कदम कदम पर करना पड़ा मुझे जीने की आरज़ू में रोज़ मरना पड़ा मुझे अपनी थी बात जब तलक Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 09/12/201909/12/2019 गज़ल दिल तेरी मुहब्बत का जो गुलाम नहीं होता तेरा ज़िक्र लबों पर फिर सुबह शाम नहीं होता बदनामी मेरी मुझको Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 06/12/201917/12/2019 गज़ल सुन ले जाते हुए मुँह फेर के जाने वाले दोस्त मिलते हैं कम ही साथ निभाने वाले फिर तू माँगे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 30/11/201917/12/2019 ग़ज़ल मेरी हर ग़ज़ल कसीदा तुम्हारी शान में है तुम सा न दूसरा कोई पूरे इस जहान में है हर महफिल Read More