गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 24/09/201924/09/2019 ग़ज़ल व्यापार की तरह कभी त्योहार की तरह प्यार अब होता है कहाँ प्यार की तरह घुल गया हवाओं में ज़हर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 22/09/201923/09/2019 गज़ल गुस्सा यूँ ही नहीं इतना भरा है मुझमें कोई तो है जो मुझसे ही खफा है मुझमें झूठ को सच Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 18/09/201918/09/2019 ग़ज़ल होनी थी जितनी बारिश-ए-इकराम हो चुकी अब आओ घर को लौट चलें शाम हो चुकी किस्सा-ए-गम अपना उनको जब लगा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 13/09/201914/09/2019 ग़ज़ल जिसके ज़ख्म पे मैंने सदा मरहम लगाया है, मेरी पीठ पर उस शख्स ने खंजर चलाया है करो तवाफ-ए-काबा या Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 09/09/201910/09/2019 ग़ज़ल हम-तुम जब महफिल में अचानक आमने-सामने आए थे मैं भी डर गया था थोड़ा-सा, तुम भी कुछ घबराए थे समझने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 06/09/201909/09/2019 ग़ज़ल जो मेरे दिल के बेहद पास था वो महबूब मेरा बिछड़ गया इस आम सी दुनिया में खास था वो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 29/08/201929/08/2019 ग़ज़ल मौसम जैसे बदल गए जो उन इंसानों का गम क्या अपने ही जब रहे न अपने तो बेगानों का गम Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/08/201921/08/2019 ग़ज़ल बहुत जी चुका हूँ अब मुझे मर जाने दे खुशबू की तरह हवा में बिखर जाने दे सिवा रेत के Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 18/08/201927/08/2019 ग़ज़ल किसी से सारी उम्र का इकरार न माँगो कुछ भी माँग लो यहाँ बस प्यार न माँगो छूट जाएँ राह Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 10/08/201911/08/2019 ग़ज़ल नम आंखों से भी तुम्हारी खातिर हम मुस्काए थे सीने पर तमगों के जैसे हमने ज़ख्म सजाए थे यारों को Read More