गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 05/08/201905/08/2019 ग़ज़ल बुराइयां करते फिरते हैं मेरी ज़माने में उनको आता है मज़ा मुझे सताने में ये जो फिर से ताल्लुकात बढ़ाने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 25/07/201928/07/2019 गज़ल पल-पल अपने ज़मीर की निगरानी में रहता हूँ सच्चा हूँ तभी शायद परेशानी में रहता हूँ इस गर्दाब से बाहर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/07/201928/07/2019 गज़ल कोई मतला, कोई मक्ता नहीं लिक्खा मैंने हुई मुद्दत नाम तेरा नहीं लिक्खा मैंने चाहता तो तुझे बदनाम भी कर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 17/07/201917/07/2019 गज़ल मैंने हाल-ए-दिल जब भी उसे सच-सच सुनाया है मेरी तकलीफ पर ज़ालिम हमेशा मुस्कुराया है याद आ गए एक पल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 14/07/201917/07/2019 गज़ल हर तरफ बस तू ही तू हो जा उठा नकाब, रूबरू हो जा या किसी की आरज़ू कर ले या Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 14/07/201917/07/2019 गज़ल सोचता हूँ कि महफिलों से किनारा कर लूँ यादों को ही तनहाई का सहारा कर लूँ मैंने चाहा है अपनी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 06/07/201906/07/2019 ग़ज़ल मेरी कहानी को कोई अंजाम मिल न पाया तूने भेजा था जो मुझको वो पैगाम मिल न पाया मिला तो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 03/07/201906/07/2019 गज़ल तो क्या हुआ कि अब न तेरे खास रहे हैं किसी वक्त तेरी आँखों की हम प्यास रहे हैं इक Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 26/06/201927/06/2019 गज़ल छोटा सा इक आशियां चाहते हैं ज़रूरत से ज्यादा कहां चाहते हैं खिज़ाओं का मौसम रहे दूर जिससे उम्मीदों का Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 23/06/201927/06/2019 गज़ल न जाने आज क्यों हूँ अश्कबार थोड़ा-सा भरा हुआ है सीने में गुबार थोड़ा-सा घुल गया ये कौन सा ज़हर Read More