गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 19/06/201920/06/2019 गज़ल हो जाता जो मुझे तेरा दीदार थोड़ा-सा आ जाता मेरे दिल को भी करार थोड़ा-सा लज़्ज़त-ए-इश्क और बढ़ाने के लिए Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 17/06/201921/06/2019 गज़ल सच की तल्खी भले ज़ुबान में रख नज़ाकत मौके की भी ध्यान में रख मसले बातों से भी हल होते Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 12/06/201912/06/2019 गज़ल कैसे भी थे हालात पर ईमान से रहे दुनिया में जबतक रहे हम शान से रहे कह न सके हम Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 09/06/201921/06/2019 गज़ल फैले दूर तक उदासी के मौसम नहीं होते अगर तुम पास होते ज़िंदगी में गम नहीं होते दिल मिलने की Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 06/06/201921/06/2019 गज़ल आज आईना मुझे दिखा ही दे सच क्या है ये बता ही दे या तो साहिल पे ले चल मुझको Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 02/06/201921/06/2019 गज़ल राहों में बैठे हैं दिलदार हम भी करते हैं जानां तुम्हें प्यार हम भी है मर्ज़ी तुम्हारी न देखो इधर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 01/06/201921/06/2019 गज़ल मैंने गर पी ही नहीं तो ये खुमारी कैसे दिल में जब गम नहीं तो हो गया भारी कैसे मैं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 29/05/201929/05/2019 गज़ल बस इसी एक भूल ने मुझे बरबाद किया मासूमियत से मैंने दुश्मनों पे एतमाद किया इस दौलत से मालामाल रहोगे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 27/05/201927/05/2019 गज़ल ख्वाबों की तरह बनता-बिखरता हुआ सा कुछ सीने में लग रहा है क्यों टूटा हुआ सा कुछ वही दूर तक Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 24/05/201925/05/2019 गज़ल दिन चेहरे को लिखूँ, जुल्फों को मैं रात लिखूँ तेरी आँखों से बहे अश्कों को बरसात लिखूँ रंग कागज़ का Read More