गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 22/05/201928/05/2019 गज़ल चलो हम मोम की मानिंद पिघल के देखते हैं इश्क की आग में इक बार जल के देखते हैं घर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 17/05/201928/05/2019 गज़ल किस्मत से न था कोई गिला सालों पहले इश्क न जाने क्यों मुझे हुआ सालों पहले मुसलसल चोटों ने पत्थर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 16/05/201928/05/2019 गज़ल हमसे भी किस्मत ने देखो कैसी बेवफाई की जब प्यार कफ़स से हुआ रूत आ गई रिहाई की सोते हो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 14/05/201916/05/2019 गज़ल हरेक दर पे सजदा करने की आदत नहीं मेरी जहाँ दिल माने झुकती है वहाँ पर ही ज़बीं मेरी महफिल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 13/05/201928/05/2019 गज़ल शब-ए-हिज्र का किस्सा,दिल-ए-बेज़ार की बात क्यों छेड़ते हो हर दफा ये बेकार की बात सर से पाँव तक शोले दहकने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 09/05/201928/05/2019 गज़ल ज़मीन के सीने पे दीवारें उठा दी जाएँगी निशानियाँ इखलास की सारी मिटा दी जाएँगी तवंगरों की बेवजह ज़िद पूरी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 06/05/201907/05/2019 गज़ल साँसें धुआँ-धुआँ हैं, सीना ज़ख्म-ज़ख्म है उसपर वो पूछता है कि किस बात का गम है जिस वफा के भरोसे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 24/04/201928/04/2019 गज़ल बहुत खुश है दुश्मन-ए-जान मेरा लेकर फिर से इम्तिहान मेरा बच गए बस यादों के खंडहर ढह गया इश्क का Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 22/04/201928/04/2019 गज़ल छोड़कर अपना मैं और तुम आओ हम बनाते हैं मिला कर सारे सुर कोई नई सरगम बनाते हैं उनकी नफरतों Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 20/04/201928/04/2019 गज़ल ज़रा सी नज़रे-इनायत सनम इधर कर दो चाहे मुझपे इक एहसान समझकर कर दो तमाम उम्र फिर अँधेरों में मैं Read More