गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 16/04/201928/04/2019 गज़ल भूलता भी नहीं हमको, हमारा भी नहीं होता बिना उस शख्स के अपना गुज़ारा भी नहीं होता क्यों उसका तसव्वुर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 04/04/201906/04/2019 गज़ल मलमल के कपड़े में लिपटी लोहे की तलवारों सा चेहरा उसका फूलों जैसा और लहज़ा है खारों सा है उसकी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 31/03/201931/03/2019 गज़ल जो आवाम को पसंद हो वो बात करोगे मुफलिस की, तवंगर की मुदारात करोगे अच्छे से अब तो हम भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 28/03/201928/04/2019 गज़ल भरम इश्क का हर हाल बनाए रखना वो सामने हो तो नज़रों को झुकाए रखना आए कि न आए उसकी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 26/03/201928/04/2019 गज़ल हरदम करता रहा सफर मैं बना न पाया कहीं भी घर मैं लोगों ने आवाज़ बहुत दी लेकिन ठहरा नहीं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 22/03/201925/03/2019 गज़ल दो दिन सुकून से जीना मुहाल करते हैं ये दुनिया वाले भी कितने सवाल करते हैं न रह सकेंगे खुश Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 19/03/201919/03/2019 गज़ल यूँ तो सब अपने यहां थे कोई बेगाना नहीं दौर-ए-गर्दिश में किसी ने मुझको पहचाना नहीं थी खबर हमको बहुत Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 16/03/201925/03/2019 गज़ल बदला-बदला सा नज़ारा है फिर किसी ने हमें पुकारा है वो शख्स हमें तकता ही नहीं जो हमको जान से Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 14/03/201914/03/2019 गज़ल हर कोशिश मेरी नाकाम हुई जाती है बस यूँ ही सुबह से शाम हुई जाती है खुद-ब-खुद आ गए हैं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 09/03/201909/03/2019 गज़ल उम्र भर की वफा से हाथ क्या आया मेरे दश्त-ए-तनहाई में कोई न साथ था मेरे यक-ब-यक आज मिले भी Read More