गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 25/01/201904/03/2019 गज़ल वक्त-ए-आखिर तुझमें मुझमें फर्क क्या रह जाएगा, ना रहेगा कोई छोटा, ना बड़ा रह जाएगा काम आएँगी वहां बस अपनी-अपनी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 18/01/201904/03/2019 गज़ल दूर होकर भी मेरे दिल के बेहद पास लगती है हज़ारों सूरतों में वो सूरत-ए-खास लगती है मिल जाए तो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 10/01/201911/01/2019 गज़ल कभी बना के हँसी होंठों पे सजाऊँ उसे कभी अश्कों की सूरत आँख से बहाऊँ उसे कभी पढूँ उसे पाकीज़ा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 04/01/201907/01/2019 गज़ल अच्छे बुरे वक्त में भी जो बिल्कुल एक समान रहे, इस दुनिया में उसकी अपनी एक अलग पहचान रहे, जब Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 25/12/201825/12/2018 गज़ल जाने वाले लौट आ कि तबियत उदास है कोई गीत गुनगुना कि तबियत उदास है काटने को दौड़ते हैं रेशमी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 19/12/201820/12/2018 गज़ल ये शीराज़ा तो घड़ी भर में बिखर जाएगा किसे मालूम है कल कौन किधर जाएगा जो मोम होगा पिघल जाएगा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 13/12/201815/12/2018 गज़ल मुसाफतों से दिल ये भरता क्यों नहीं इक ठिकाने पर ठहरता क्यों नहीं क्यों भरोसा करता है अजनबियों पर ठोकरें Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 11/12/201811/12/2018 ग़ज़ल माना कि ये ज़माना बेरहम है दोस्तो पर आपके होते हुए क्या गम है दोस्तो इतना प्यार आपसे मिला कि Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 06/12/201808/12/2018 गज़ल ज़ख्म अपने दिल पे बेशुमार खा गया, मैं आदमी पहचानने में मार खा गया चला था भरोसे का कारोबार करने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 03/12/201809/12/2018 गज़ल यक-ब-यक चल पड़ी हवा जैसे पूरी हो गई हर दुआ जैसे तुमको देखा तो यूँ महसूस हुआ सामने आ गया Read More