गीत/नवगीत *भरत मल्होत्रा 27/09/2018 गीत जाने-अनजाने ही जुड़ गई तुमसे मेरी हर अभिलाषा तुम्हें समर्पित मेरा जीवन अर्पण तुमको ही हर आशा मन-मंदिर में जो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 24/09/2018 गज़ल याद गुज़रे ज़माने आ गए क्या फिर यादों के बादल छा गए क्या ===================== अक्स मेरा उभरा जब यकायक आईना Read More
सामाजिक *भरत मल्होत्रा 24/09/2018 लेख जो दूसरों के दोष पर ध्यान देता है वह अपने दोषों के प्रति अंधा हो जाता है। ध्यान आप या Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/09/201821/09/2018 गज़ल जानता हूँ कि न आएगा पलट कर तू मैं एक मील का पत्थर हूँ और मुसाफिर तू मुझे यकीन है Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 14/09/2018 गज़ल होकर हालात का शिकार बदल जाती है नीयत का क्या है बार-बार बदल जाती है ========================== करती है वादे सारी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 11/09/201811/09/2018 गज़ल बहुत छोटा सा मसला है मगर क्यों हल नहीं होता निगाहों से मेरी चेहरा तेरा ओझल नहीं होता दीवाने तो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 05/09/201813/09/2018 गज़ल बस कुछ कर गुज़रना चाहता हूँ ज़माने को बदलना चाहता हूँ जहां को रोशनी देने की खातिर बनके शम्स जलना Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 31/08/201813/09/2018 गज़ल लबों पे लेकर निकले हैं इंकलाब का नारा लोग, बदलेंगे तस्वीर वतन की हम जैसे आवारा लोग ऐसी आँधी आएगी Read More
कविता *भरत मल्होत्रा 28/08/2018 कविता ये जो तुम आज ठूंठ देखते हो कभी हुआ करता था वृक्ष हरा भरा जिसकी हरियाली से थी घर में Read More
कविता *भरत मल्होत्रा 27/08/2018 कविता जब भी करता हूँ इक़रार अपनी चाहत का उससे सब जानकर भी बनते हुए अंजान अल्हड़पन से खिलखिलाती पूछने लगती Read More