गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 10/07/201811/07/2018 गज़ल महक उठी है कहीं फिरसे रातरानी क्या लौट आई दोबारा मेरी ज़िंदगानी क्या देख के ताजमहल ये सवाल उठा दिल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 03/07/201815/07/2018 गज़ल मोती ये पलकों से गिरा ही दे अश्क दो-चार अब बहा ही दे दे नहीं सकता गर ईनाम मुझे कम Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 28/06/2018 गज़ल इस शहर का हर शख्स मेरा राज़दां है अब जो राज़ कल तलक था वो दास्तां है अब ========================== जो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 20/06/2018 गज़ल किसी की याद में ये अश्क बहाया न करें हैं बड़े कीमती गौहर, इन्हें ज़ाया न करें ========================== लोग दिल Read More
सामाजिक *भरत मल्होत्रा 13/06/2018 विचार विचार उस दर्पण की भाँति हैं जो कभी असत्य नहीं बोलता। किसी भी व्यक्ति को उसके विचारों से ही जाना Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 13/06/2018 गज़ल उसके जवाल पे कोई फिर शक नहीं रहा याद जिसे सच्चाई का सबक नहीं रहा ========================== हर वक्त छाया रहता Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 07/06/201808/06/2018 गज़ल तलाश-ए-ज़िंदगी में मैं हर रोज़ निकलता हूँ, सुबह सा खिलता हूँ कभी शाम सा ढलता हूँ शौक-ए-सफर ने मेरे रूकने Read More
सामाजिक *भरत मल्होत्रा 03/06/201804/06/2018 लेख – मैं नहीं बदलूँगा मेरे घर में जब बेमतलब की लाइटें जलती रहती हैं, पंखा चलता रहता है, टीवी चलता रहता है तब मुझे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 03/06/201804/06/2018 गज़ल हमसे कोई खता न हो जाए दोस्त अपना खफा न हो जाए अपना चेहरा छुपा ले तू मुझसे दिल फिर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 28/05/2018 गज़ल रूक जाते कदम तेरे जो तू पलटकर देखता अश्क के इक कतरे में पूरा समंदर देखता ========================== रफ्ता-रफ्ता जिस्म से Read More