गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 05/05/201816/05/2018 गज़ल किसी तूफान के पहले की चुप्पी हो जैसे इस राख में अभी भी आग छुपी हो जैसे तेरा चेहरा कुछ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 30/04/2018 गज़ल जिसे हालात ने मारा हो मुहब्बत कैसे वो कर ले, जो खुद टूटा सितारा हो मुहब्बत कैसे वो कर ले, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 23/04/2018 गज़ल बुरा औरों का जो करता नहीं है शर्म से उसका सर झुकता नहीं है ====================== कभी भी आज़मा लो जब Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 19/04/2018 गज़ल इस दुनिया के लोगों को ये क्या हुआ यहां हर कोई है गम का मारा हुआ ======================= हर आँख अश्कों Read More
सामाजिक *भरत मल्होत्रा 17/04/2018 सीख *मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि…* मुझे हर उस बात पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए जो मुझे चिंतित करती है। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 17/04/201821/04/2018 गज़ल रोटियां कोई मुफ्त की खाकर बिगड़ गया कोई हाकिमों की बातों में आकर बिगड़ गया मेहनत में यहां जिसने भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 07/04/2018 गज़ल लोग कुछ प्यार जताने आए लो जी फिर दिल को दुखाने आए ===================== जब तुम हो नहीं सकते मेरे क्यों Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 04/04/201821/04/2018 गज़ल चाँदनी खुद में सिमटती जाएगी, रात रफ्ता-रफ्ता ढलती जाएगी गर्मी-ए-एहसास की लौ तो दिखा, रिश्तों पे जमी बर्फ गलती जाएगी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 02/04/201802/04/2018 गज़ल दोस्तों में हूँ मैं, अपने दुश्मनों में हूँ दिमागों में हूँ थोड़े और थोड़े दिलों में हूँ तारीफ कर रहा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 30/03/201830/03/2018 ग़ज़ल कातिल हैं जो भेस बदल के चारागर हो जाते हैं राह जिन्हें मालूम नहीं खुद वो रहबर हो जाते हैं Read More