गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 08/03/2023 ग़ज़ल चढ़ान ही नहीं फकत उतार भी है ज़िंदगी साया-ए-दीवार भी है, दार भी है ज़िंदगी मुतमईन भी हूँ, चाहतें भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 04/03/2023 ग़ज़ल ढाए हैं हम पे दुनिया ने कुछ ऐसे सितम भी लगने लगे हैं एक से कातिल भी, सनम भी महफिल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 24/02/2023 ग़ज़ल बेमकसद मुस्कुराना कभी उदास होना भी कभी उम्मीद रखना भी कभी बेआस होना भी गम मुझको नहीं है सिर्फ तुझसे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 23/02/2023 ग़ज़ल आगाज़ तो हो जाए अंजाम तक ना पहुंचे जब तक मेरी कहानी तेरे नाम तक ना पहुंचे तेरे आने से Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 23/02/2023 ग़ज़ल किसी के लब पे तेरा नाम बुरा लगता है, गैर कोई दे तुझे पैगाम बुरा लगता है कहा है तुमसे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 23/02/2023 ग़ज़ल निगाहें मिलाना, मिलाकर झुकाना मुहब्बत नहीं है तो फिर और क्या है अकेले बिना बात के मुस्कुराना मुहब्बत नहीं है Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 23/02/2023 ग़ज़ल इश्क में तेरे कुछ ऐसे मर मिटा हूँ मैं तू ही तू है मुझमें अब कहाँ बचा हूँ मैं उगेगा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 23/02/2023 ग़ज़ल कोई नगमा गुनगुनाकर ज़रा सा इश्क रख देना अश्क दो-चार बहाकर ज़रा सा इश्क रख देना रूह मेरी सुकूं पा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/02/2023 ग़ज़ल इश्क में तेरे कुछ ऐसे मर मिटा हूँ मैं तू ही तू है मुझमें अब कहाँ बचा हूँ मैं उगेगा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 15/01/202301/02/2023 ग़ज़ल अपनी-अपनी ख्वाहिशों की आग में जलता मिला इस गज़ब की भीड़ में हर आदमी तनहा मिला सुबह से लेके शाम Read More