गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 20/06/2016 ग़ज़ल फिर वही गुनाह किए जा रहा हूँ मैं, मरने की आरज़ू में जिए जा रहा हूँ मैं हो जाओगे बदनाम Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 18/06/2016 ग़ज़ल मैं सब कुछ भूल जाता हूँ वो जब भी मुस्कुराती है, मैं घर आऊँ तो मुझको देखके बाहें फैलाती है Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 16/06/2016 ग़ज़ल कातिल चारागर लगता है, हवा में घुला ज़हर लगता है किसको दें आवाज़ यहां अब, दुश्मन सारा शहर लगता है Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 16/06/2016 ग़ज़ल तेरी जुदाई आज फिर अश्कों में ढल गई, होते ही शाम यादों की इक शमा जल गई माना था बड़ी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 11/06/2016 ग़ज़ल सच्चाई को इस दुनिया में बस इल्ज़ाम मिलता है, मक्कारी हो चालाकी हो तो ईनाम मिलता है मिली ना नौकरी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 10/06/2016 ग़ज़ल जहां धरती से अंबर के सुनहरे तार मिलते हैं, मेरे महबूब हम तुम आज झील के पार मिलते हैं बदलते Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 09/06/2016 ग़ज़ल पैमाना हो या प्यार छलकता ज़रूर है सीने में अगर दिल हो धड़कता ज़रूर है महफिल में वो बैठे हैं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 07/06/201607/06/2016 ग़ज़ल वक्त-ए-आखिर तुझमें मुझमें फर्क क्या रह जाएगा ना रहेगा कोई छोटा, ना बड़ा रह जाएगा काम आएँगी वहां बस अपनी-अपनी Read More
गीत/नवगीत *भरत मल्होत्रा 30/05/2016 गीत : दामन मेरा खुशियों से भर-भर जाए फिर क्यों ना दामन मेरा खुशियों से भर-भर जाए तेरी करूणा के बादल बरसे मैंने जब-जब हाथ फैलाए सुख के Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 29/05/2016 ग़ज़ल अदावत दिल में रखते हैं मगर यारी दिखाते हैं, न जाने लोग भी क्या क्या अदाकारी दिखाते हैं लगेगी आग Read More