ग़ज़ल
ज़ुबान से तो ना लिया नाम तुम्हारा हमने, खामोशियों से मगर रोज़ पुकारा हमने लबों पे बात मेरे दिल की
Read Moreमैं बेटी बनकर आई हूँ खुशियाँ ही खुशियाँ लाई हूँ, जन्मों जन्मों के रिश्तों को, मैं यहाँ निभाने आई हूँ,
Read Moreपिछला पहर जब रात का हो, और आँख में नींद ना आती हो, तुम तनहा छत पर लेटे हो, ये
Read Moreतुम्हें हरदम पुकारा है, मैंने खामोश होकर भी, तुम्हें इक पल नहीं भूला, मैं अपने होश खोकर भी, तुम्हें धड़कन
Read Moreअब ना सहेंगे कोई हमला, अपने देश की माटी पर, सीमा लांघ के चढ़ जाएंगे, आतंकियों की छाती पर, छप्पन
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