ग़ज़ल
तनहाईयों में मैं रोता हूँ याद करके तुम्हें अश्कों से तकिए भिगोता हूँ याद करके तुम्हें बर्दाश्त होती नहीं आज
Read Moreयूँ तुझसे जुदा होकर मुझको, ज्यादा कुछ तो नहीं हुआ, बस थोड़ा सा दिल टूटा है, और लगता है रब
Read Moreकाश… तुम्हें मालूम हो सकता, कि तुम मेरे लिए क्या हो, सुकून-ए-रूह हो मेरा, दिल-ए-बेचैन की दवा हो, बताऊँ मैं तुम्हें
Read Moreदिल चाहता है मेरा भी इस कलम से मैं श्रीराम लिखूँ रावण से अवगुण रखकर पर कैसे उनका नाम लिखूँ
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