गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 22/12/2022 ग़ज़ल ये शीराज़ा तो घड़ी भर में बिखर जाएगा किसे मालूम है कल कौन किधर जाएगा ========================== जो मोम होगा पिघल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/11/202221/11/2022 गज़ल हसरत-ए-दिल-ए-बेकरार कहां तक जाती, दश्त-ए-तनहाई के उस पार कहां तक जाती, ============================= मैं ज़मीं पर था तुम कोहसार-ए-गुरूरां पर थे, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/11/202221/11/2022 गज़ल हल्का-हल्का खुमार हो जैसे, हर तरफ प्यार-प्यार हो जैसे, ================== ओस यादों की ऐसे झरती है, दिल मेरा हरसिंगार हो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/11/202221/11/2022 गज़ल व्यापार की तरह कभी त्योहार की तरह प्यार अब होता है कहाँ प्यार की तरह घुल गया हवाओं में ज़हर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/11/202221/11/2022 गज़ल सूखे हुए गुलाब, यूँ खत से गिरा दिए, जैसे किसी ने खून के कतरे गिरा दिए, ======================== ये ज़िन्दगी है Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/11/202221/11/2022 गज़ल अधूरे किस्से सुनाती रही रात भर, बदन अपना जलाती रही रात भर, ======================= कोई परवाना आया नहीं पूछने, शमा आँसू Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/11/202221/11/2022 गज़ल तू भी मेरी तरह ही गलती का पुतला निकला, मैंने समझा था तुझे क्या और तू क्या निकला, ============================ तमाम Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/11/202221/11/2022 गज़ल हिस्सा-ए-बाज़ार ना बन, हिम्मत रख लाचार ना बन, ================== कुछ अपनी भी सोचा कर, सबका खिदमतगार ना बन, ================== दुश्मन Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/11/202221/11/2022 गज़ल लोग कहते हैं बहुत मगरूर होता जा रहा हूँ, जैसे-जैसे थोड़ा मैं मशहूर होता जा रहा हूँ, ============================ वक्त ने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 21/11/202221/11/2022 गज़ल कभी हम फूल होते हैं, कभी हम खार होते हैं कभी लाठी बुढ़ापे की, कभी तलवार होते हैं ============================ आईने Read More