ईश वंदना
क्या मांगू अब तुझसे हे करतार तू है दीनदयाल मेरी जरूरत का सब कुछ दे दिया नाहक करू कुछ मांग
Read Moreअल्सुबह अलसाई सी धूप में ठहल रहा जब मैं छत पर तभी दिखा 8 P M का एक सौ अस्सी
Read Moreप्रभु मेरी तुमसें है अरदास साल तो यह जैसे तैसे बीत रहा मास दिसंबर साल अंत का भी अा गया
Read Moreपास बैठो दो पल चुस्कियां लो गरम गरम चाय की दो तुम कहो दो हम कहें बात अपने अपने दिलों
Read Moreजिंदगी की उलझनें भी क्या उलझनें हैं एक सुलझाते सुलझाते दूसरे में उलझ जाते हैं बड़ा जटिल है यह ताना
Read Moreकभी सोचता हूं कि कुछ नया नायाब लिखूं जो भी अब तक लिखा सब पुराना पढ़ा पढ़ाया था पर क्या
Read More