गीत – पहेली देख रहा हूँ
सिन्धु-तीर पर लोगों की अठखेली देख रहा हूँ।मस्ती करते अलबेले-अलबेली देख रहा हूँ।। दूर क्षितिज से आकर लहरें कितना इठलाती
Read Moreसिन्धु-तीर पर लोगों की अठखेली देख रहा हूँ।मस्ती करते अलबेले-अलबेली देख रहा हूँ।। दूर क्षितिज से आकर लहरें कितना इठलाती
Read Moreआजकल तो एक हफ़्ते में नहाने का चलन है।शत्रु लगता गुसलखाना, दूर से जल को नमनहै।कँपकँपाती देह एवम् थरथराता हुआ
Read Moreसत्ता पाने का अहंकार, सत्ता खोने की पीर बड़ी। दोनों ने मिलकर खींची है, रंजिश की एक लकीर बड़ी।। है एक पक्ष जो भारत को अपनी जागीर समझता है। सत्ता को सोने की प्याली में रक्खी खीर समझता
Read Moreदिनोंदिन बदल रहा परिवेश। राममय हुआ समूचा देश।। अयोध्या नगरी की है बात, सुना है हुए पाँच सौ साल। जहाँ
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