आ गए फिर से लुटेरे
वोट का धन लूटने को, आ गए फिर से लुटेरे।। मंडियाँ सजने लगी हैं, भीड़ है व्यापारियों की। वायदों की
Read Moreवोट का धन लूटने को, आ गए फिर से लुटेरे।। मंडियाँ सजने लगी हैं, भीड़ है व्यापारियों की। वायदों की
Read Moreहेलो! जी मैं “अलाने” शहर से तूफ़ान सिंह ‘झंझावात’ बोल रहा हूँ। क्या मैं “फलाने” शहर के कुपित कुमार ‘अग्नि’
Read Moreसाज़ का तार बनकर जिओ ज़िन्दगी। एक झंकार बनकर जिओ ज़िन्दगी। बोझ बनकर जिए तो भला क्या जिए, एक उपहार
Read Moreपूछिएगा प्रश्न कोई आप यदि ‘सरकार’ से। प्रश्न का उत्तर मिलेगा प्रश्न की बौछार से। आप उनकी ग़लतियों पर टोककर तो देखिए, आक्रमण करने लगेंगे ‘तर्क’ की तलवार से। ‘नोटबंदी’ से हुए जो फ़ायदे, वे गुप्त हैं, हो गया है लुप्त ‘काला धन’ सकल संसार से। सांसदों ने कर दिया आदर्श हर इक ग्राम को, जी रहे हैं ‘स्वच्छ भारत’ में सभी हम प्यार से। ‘आँकड़ों’ की घोषणाएँ योजनाओं से बड़ी, लोग भौंचक्के हुए सुनकर इन्हें विस्तार से। सिर्फ़ अम्बानी-अडानी ही करेंगे ‘काम’ सब, और सबको मुक्ति दे दी जायगी व्यापार से। ‘बात मन की’ वो ज़बरदस्ती सुनाता है हमें, हम कहें कैसे हमारी बात ‘नम्बरदार’ से। — बृज राज किशोर ‘राहगीर’
Read Moreमहिलाओं की इज़्ज़त करने का, पाठ हमें पढ़ना होगा। हर कहीं सुरक्षित हो नारी, ऐसा समाज गढ़ना होगा। नारी कोई
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