आओ, संस्कार दीप जलाएं!
आओ, संस्कार दीप जलाएं! सुंदर मानव जन्म मिला हैं पुण्योदय से, क्यों कलुषित स्वार्थ, लोभ, लालच कषायों से।। दुष्प्रवृत्ति, भ्रष्टाचार मानवता
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Read Moreमां की ममता से खिले, घर-आंगन में प्यार। दिल में अपनापन रहे, गूंथे स्नेहिल हार।। मां मूरत करुणामयी, पावन, निर्मल
Read Moreबंधी हैं मुट्ठी, लाख की! चाहकर भी प्रिया बचत न कर पाती। चाहती, इस बार तो कुछ जोड़ लूं, पर
Read Moreलाडली बेटियां! सौभाग्य लेकर आती हैं बेटियां, सपने सजाती आती हैं बेटियां, रुमझुम, छमछम पायल की, मधुरिम आह्लाद लाती हैं
Read Moreबोझिल क्यों हैं ढलती सांझ! खांसी करते करते आंखों से पानी बहने लगा। इतना साहस न था कि उठकर पीने
Read Moreविश्व गौरैया दिवस पर, आओ हम संकल्प करे, भरा रहे दाना-पानी, घनी वृक्षों की छांव रहे। नन्ही गौरैया, प्यारी चिड़िया
Read Moreप्रेम रंग रंग दो फागण ! प्रेम रंग रंग दो फागण, खनके कंगना खन खन, होली का रंगारंग त्यौहार, हो
Read Moreचिंकी अपने बच्चे को हाथों के पालने में सुला रही थी। अचानक खिलखिलाने आवाज आई। उसके पति रोहित के साथ
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