क्षणिका दामोदर कृष्ण भगत 'किशन' 08/03/201709/03/2017 प्रतीत है प्राबल्य प्रेरणा प्रभा .. प्रजायी है प्रतीत है , तृषा ‘किशन’ त्रैकाल की .. प्रिया तू प्रेय प्रीत है Read More
कविता दामोदर कृष्ण भगत 'किशन' 06/03/2017 प्रेम प्रेम ..पीड़ा के सहचर !अतृप्ति तेरे रग में क्यों ?प्रष्व ..दग्ध कर पींजर !बने फिरते जग में क्यों ?प्रेप्सा ..सबके Read More
कविता दामोदर कृष्ण भगत 'किशन' 06/03/2017 हे भारत कर शत्रु क्षय ! हे भारत ! कर शत्रु क्षय ! शोषित शताब्दी सप्ताधिक अनंतक ! अनाचार अत्याचार दुर्दम्य अरि ! दंभ युक्त वक्ष Read More