Author: *डॉ. दीपक आचार्य

हास्य व्यंग्य

आज के सिद्ध महामंत्र – सर-सर सरासर, मैं-मैं मैम-मैडम

सतयुग, त्रेता और द्वापर युग में चाहे कौनसे भी मंत्र तारक, उद्धारक और पालक रहे होंगे मगर इस कलियुग में दो-तीन ही

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पर्यावरण

पर्यावरण संरक्षण के लिए ईमानदार प्रयास जरूरी

विश्व में वर्तमान में व्याप्त सभी प्रकार की समस्याओं, संत्रासों, पीड़ाओं और अभावों का मूल कारण प्रकृति के प्रति हमारी

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मावजी साहित्य का वैश्विक प्रचार-प्रसार जरूरी

वाग्वर अंचल का लोक साहित्य, भक्ति साहित्य हो या लोक जीवन, परिवेश, जीवन और जगत से जुड़े किसी भी पहलू

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सामाजिक

विस्तार पा रहा है महिलाओं का मीडिया के प्रति रुझान

आधी दुनिया अब समाज-जीवन और परिवेश से लेकर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सभी क्षेत्रों में अपनी धाक जमाने लगी

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समाचार

श्रीराम भक्ति काव्य महोत्सव 

बांसवाड़ा, 11 जनवरी/विश्व हिन्दी दिवस पर श्रीराम भक्त मण्डल एवं ठीकरिया ग्रामवासियों तथा उजास परिवार के संयुक्त तत्वावधान में ठीकरिया स्थित

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सामाजिक

झरता है सास -बहू का प्रेम प्रपात

पर्व और त्योहार मनाने की वागड़ अंचल की अपनी अनूठी परम्पराएँ और अँदाज रहे हैं जिनमें पारिवारिक आत्मीयता, सामजिक सौहाद्र्र और

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सामाजिक

अहसान मानें उनका जो उपस्थित थे, उपस्थित रहे

इसे महत्त्वाकांक्षा, नाम छपास की भूख, लोकप्रियता की चाह, अपने अस्तित्व के सार्वजनीन प्राकट्य की सनक या अहंकार का मकड़जाल कुछ भी कह

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