प्रजातंत्र में समाज और जीवन के हर पहलू में गण और तंत्र दोनों ही एक-दूसरे के लिए हैं। गण को तंत्र के प्रति श्रद्धावान, वफादार और विश्वासु होना चाहिए। इसी प्रकार तंत्र को भी गण के प्रति जवाबदेह एवं संवेदशील होना चाहिए। दोनों के मध्य आपसी भरोसे और पारस्परिक सहयोग भावना जितनी अधिक प्रगाढ़ होगी उतना […]
Author: डॉ. दीपक आचार्य
साहित्यकाश में दशकों तक छाए रहे फक्कड़ शब्दशिल्पी मणि बावरा
बांसवाड़ा के साहित्यकाश में उदित होकर अपनी रचनाओं की चमक-दमक के साथ देश के साहित्य जगत में ख़ासी भूमिका निभाने वाले मणि बावरा वागड़ अँचल के उन साहित्यकारों में रहे हैं जिन्हें अग्रणी पंक्ति का सूत्रधार माना जा सकता है। यशस्वी साहित्यकार मणि बावरा उस शख़्सियत का नाम रहा है जिसने जीवन संघर्षों और परिवेशीय […]
आत्मघात
चतुर्दिक चकाचौंध के मोहपाश से घिरकर जो खींचे चले आए हैं पतंगों की तरह इस बाड़े के भीतर आत्मघाती आन्दोलन के प्रणेता बनकर अब महसूसने लगे हैं खुद को मकड़ी की मानिन्द, उलझते ही जा रहे हैं गलियारों की भुलभुलैया में, अपने भीतर पदीय अहंकार की हाइड्रोजन गैस भर उड़ने लगे हैं गुब्बारों की तरह […]
दरिद्रता और पाप देता है दुष्टों का सम्पर्क
जनसंख्या महाविस्फोट के मौजूदा दौर में इंसानों की ढेरों प्रजातियों का अस्तित्व बढ़ता जा रहा है। कुछ नई किस्म के बुद्धिहीन, पशुबुद्धि और आसुरी वृत्ति वाले लोगों की नई प्रजातियां जन्म ले रही हैं और कई सारे ऐसे हैं जिन्हें इंसानों की किसी प्रजाति में नहीं रखा जा सकता है। इन्हीं में एक किस्म उन लोगों […]
चमचागिरी जिन्दाबाद
वे कहते हैं बन्द करो चमचागिरी पर कैसे कर पाएंगे वे ऐसा, बातें कहना व राय देना अलग बात है और असली जिन्दगी जीना दूसरी बात। उन बेचारों की तो जिन्दगी ही टिकी हुई है चमचागिरी पर, वे छोड़ दें तो काफी आबादी नहीं मर जाएगी भूखों , फिर चमचे नहीं होंगे तो जमूरों और […]
याचना करें तो केवल ईश्वर से
मनुष्य का पूरा जीवन ऐषणाओं का पूरक और पर्याय रहा है जहाँ हर किसी को कुछ न कुछ कामना ताजिन्दगी बनी ही रहती है। इसके सकारात्मक और नकारात्मक, वैयक्तिक अथवा सर्वमांगलिक प्रकार हो सकते हैं लेकिन इच्छाओं और तृष्णाओं का सागर हर पल लहराता ही रहता है। कोई-कोई बिरला ही होगा जो संसार में आने के […]
चरैवेति
मंथर महाप्रवाह में तुम कब तक निःस्तब्ध लेटे रहोगे संसार सरिता की सतह पर योगी होने का भ्रम पाले, कब तक छलते रहोगे किनारे खड़ी भीड़ को जो तुम्हें ‘अलौकिक’ समझ बैठी है, तुम नहीं जानते सनातन प्रवाह के करतब, समय आने पर ये उगला देते हैं ज्वालामुखियाँ उफना देते हैं लहू का दरिया और […]
जवानी
कुछ लोग कभी नहीं होते बूढ़े मरते दम तक ये जीते हैं जवानी के भ्रम में, कई किस्में हैं इन बूढ़े ‘जवानों’ की न कलमकार बूढ़ा होता है न काले कोट वाले या सफेदपोश, न ठेकेदार, समाजसेवी, चोर-डकैत, तस्कर और अपराधी, न संत-महंत-मठाधीश और सेठ-साहूकार या धंधेबाज भ्रष्ट अफसर, जनता की जवानी छिनकर लगे रहते […]
बादल
बादल बड़े बदचलन होते हैं लोग जब आतुर होते हैं सूरज या चँदा दर्शन के तब सायास ढक लेते हैं अपने पर फैलाकर और दे देते हैं सबूत अपनी बदचलनी या कि दंभ का। सूरज, चाँद और तारे चलते रहे हैं युगों-युगों से अपने नियत रास्तों पर पर कोई भरोसा नहीं इनका, कभी ये खुद भटक जाते हैं कभी हवाएं भटका देती हैं, इसी बदचलनी के चलते बादल खोते जा रहे हैं अपनी आँखें, अब नहीं दीखता इन्हें धरती का विराट कैनवास इसीलिए अनचाहे बरस जाते हैं, संवेदन खो चुके बादलों को अब अहसास भी नहीं होता उनकी जरूरत-गैर जरूरत का, धरती भी अब मान गयी है बादल बादल नहीं रहे बदचलन हो गए हैं। — डॉ. दीपक आचार्य
साधना रहस्य – नाम और मंत्र जप से पाएं संकल्प सिद्धि
हर व्यक्ति चाहता है आत्म शान्ति। इसके लिए वह लाख प्रयत्न करता है किन्तु मनः शान्ति उससे उतनी ही दूर भागती रहती है। मनः शान्ति के लिए मन की चंचलता का त्याग परम आवश्यक है। संतोष और आत्मसंयम को धारण कर लिए जाने से मनःशान्ति के साथ ही जीवन लक्ष्यों को प्राप्त करना सहज, सरल […]