कविता : दहेज़
लड़को के अब यहां होत चौगने भाव। जैसे टमाटर बिक रहे ठीक बीस के पाव। बोली लगती लड़को की टेंडर
Read Moreलड़को के अब यहां होत चौगने भाव। जैसे टमाटर बिक रहे ठीक बीस के पाव। बोली लगती लड़को की टेंडर
Read Moreतुम्हे गुरुर है अपने कान्हा परहम भी कुर्वान अपनी जाना पर। दिल देके भी वेवफाई मिली जिसकोफकीरा भी बने उसकी
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