Author: देवेन्द्रराज सुथार

हास्य व्यंग्य

व्यंग्य – चालान के चक्कर में घन-चक्कर

यातायात के नए नियमों से भारतीय जन जीवन में द्रुतगामी परिवर्तन दृष्टिगोचर होने लगे हैं। कुछ लोगों की अक्ल ठिकाने

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पर्यावरण

बिगड़ते पर्यावरण को बचाने की चुनौती

बिगड़ते पर्यावरण को लेकर आज पूरा विश्व चिंतित है। पर्यावरण की दिनोंदिन बिगड़ती तबियत एवं जलवायु परिवर्तन के संकट को

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हास्य व्यंग्य

व्यंग्य – आंखों का अंकगणित और सामान्य सूत्र

आंखें अनमोल हैं, अद्भुत हैं। संपूर्ण समष्टि को अपने भीतर बसाने की आंखों में अभूतपूर्व क्षमता है। आंखें ईश्वर द्वारा

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हास्य व्यंग्य

व्यंग्य – बेरोजगार का इंटरव्यू  

नौकरी और छोकरी वालों को इंटरव्यू देने के पश्चात अपेक्षित सफलताएं हासिल नहीं होने पर मैंने थक-हारकर मीडिया को अपना

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