जीवन सार
पूर्णता और अपूर्णता के मध्यइस जीवन के मंथन मेंकभी पूर्णता के प्रति प्रयास मेंतो कभी अपूर्णता के खिंचाव मेंजीवन रुपी
Read Moreतुम तक हर कोई आसानी से ना पहुंच सके पार करने पड़े राही को अथा कठिन रास्ते, पीना पड़े गरल
Read Moreबहुत कहने से क्या ? करोडो़ शास्त्रों से भी क्या ? कर्मकाण्ड कराने में क्या? तीर्थों पर भटकने से भी
Read Moreमानव ने चाहा मंदिर बने, मस्जिद बने, गिरजाघर बने गुरुद्वारा बने आदी, आस्था और विश्वास का केंद्र है सभी, अच्छी
Read Moreहर जन्म में, मैं अथाह तप करती हूं, तुम्हें पाने की खातिर में हर बार मरती हूं। तुम तो मगर
Read Moreआदर्श वैवाहिक जीवन वह नहीं, जो केवल श्रृंगार रस में ही डूबा हो वास्तविकता में तो, आदर्श वैवाहिक जीवन वो
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