गीत
समझौते हैं, रिश्तों में अब कहाँ मिठास रही ? सिर्फ औपचारिकता है,अपनापन नही रहा । रिश्तों का जो बंधन
Read Moreहे प्रियतम! तुम अब आओगे ? मन मरुथल में प्यास जगी है , प्रेम जलद कब बरसाओगे ? देखों कैसे
Read Moreजल बिन मीन सरीखा यह मन । यह मौसम के अलंकार सब । प्रियतम के साजो सिंगार सब । कजरी,
Read Moreहाँ, मैं वक्त से पहले जवान हो गया था । मैं समझने लगा था, दुनियादारी की बातें, घाटे फायदे
Read More१- फैला था चारो तरफ ,तम रूपी अज्ञान । गुरुरूपी दीपक जला ,हुआ दीप्ति का भान ।। २- हम माटी
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