ग़ज़ल : फ़र्ज़ अपना भूल जाये उस दिये को फूँक दो
फ़र्ज़ अपना भूल जाये उस दिये को फूँक दो आग जो घर को लगाये उस दिये को फूँक दो ।
Read Moreफ़र्ज़ अपना भूल जाये उस दिये को फूँक दो आग जो घर को लगाये उस दिये को फूँक दो ।
Read Moreदरबारियों की भीड़ है दरबार से चलो डेरा मेरा उस पार है इस पार से चलो । किसने ग़लत पता
Read Moreआशनाई की ग़ज़ल गाने से कुछ हासिल नहीं डूब जायेगा सफ़ीना दूर तक साहिल नहीं । सब सियासी ताक़तें हाथों
Read Moreहै ज़माने को ख़बर हम भी हुनरदारों में हैं क्यों बतायें हम उन्हें हम भी गजलकारों में है । धन
Read Moreबड़े अज़ीब मकाँ उम्र भी दिखाती है कभी नसीब , कभी जिंदगी रूलाती है। खड़े दरख़्त मगर घूमती हुई छाया
Read Moreचेहरे नहीं बदले गये तो आइने बदले गये जब लोग बेढंगे चले तो रास्ते बदले गये। धरती का वो भगवान
Read Moreहम उजाले का सफ़र तय इस तरह करते रहे धूप में उगते रहे, खिलते रहे, तपते रहे। घिर गयी संवेदना
Read Moreहम ग़जल अपने लिए कम ही लिखे ग़म से यारी हो गयी ग़म ही लिखे। ये किसी शायर की मजबूरी
Read Moreकौन कहता है कि वो फंदा लगा करके मरा इस व्यवस्था को वो आईना दिखा करके मरा। ज़ु़ल्म से लड़ने
Read Moreआजादी के बाद से आज तक देश में किसी की भी सरकार रही हो वह किसानों को सताने और उन्हें
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