ग़ज़ल – चेहरे नहीं बदले गये तो आइने बदले गये
चेहरे नहीं बदले गये तो आइने बदले गये जब लोग बेढंगे चले तो रास्ते बदले गये। धरती का वो भगवान
Read Moreचेहरे नहीं बदले गये तो आइने बदले गये जब लोग बेढंगे चले तो रास्ते बदले गये। धरती का वो भगवान
Read Moreहम उजाले का सफ़र तय इस तरह करते रहे धूप में उगते रहे, खिलते रहे, तपते रहे। घिर गयी संवेदना
Read Moreहम ग़जल अपने लिए कम ही लिखे ग़म से यारी हो गयी ग़म ही लिखे। ये किसी शायर की मजबूरी
Read Moreकौन कहता है कि वो फंदा लगा करके मरा इस व्यवस्था को वो आईना दिखा करके मरा। ज़ु़ल्म से लड़ने
Read Moreआजादी के बाद से आज तक देश में किसी की भी सरकार रही हो वह किसानों को सताने और उन्हें
Read Moreइस समय गोकशी पूरे देश में एक बड़े और ख़तरनाक विवाद का रूप धारण कर चुकी है । एक पक्ष
Read Moreपत्थर दिखा के उसको डराया नहीं जाता वो आइना है उसको झुकाया नहीं जाता। कितने ही उसको आप प्रलोभन दिखाइये
Read Moreकिसी क़ि़ताब में जन्नत का पता देखा है किसी इन्सान की सूरत में खुदा देखा है। इसी से सब उसे
Read Moreवो समंदर है तो होने दीजिए सीप ही काफ़ी है मोती के लिए। इन हवाओं का भरोसा है कोई रूख़
Read Moreरोज़ किसी की शील टूटती प्रजापती के कमरे में फिर शराब की बोतल खुलती प्रजापती के कमरे में। गाँव की ताज़ी
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