ग़ज़ल : खुदा देखा है
किसी क़िताब में जन्नत का पता देखा है किसी इन्सान की सूरत में ख़ुदा देखा है। इसी से सब उसे
Read Moreकिसी क़िताब में जन्नत का पता देखा है किसी इन्सान की सूरत में ख़ुदा देखा है। इसी से सब उसे
Read Moreआ धमके साले-बहनोई होली में बजट कर गयी साफ रसोई होली में। बच्चों की मां की फरमाइश चुकी नहीें मैंने
Read Moreजरै बुराई एक-एक कर तब होली है भरै सभी का पेट बराबर तब होली है। तरस रहे कितने बच्चे
Read Moreप्राणों में ताप भर दे वो राग लिख रहा हूँ मैं प्यार के सरोवर में आग लिख रहा हूँ। मेरी
Read Moreफ़रेब, झूठ का मंज़र कभी नहीं देखा कहाँ नहीं है, पर ईश्वर कभी नहीं देखा उसे हमारी तरह ठोकरें कहाँ
Read Moreग़ज़ल बड़ी कहो मगर सरल ज़बान रहे उठाओ सर तो हथेली पे आसमान रहे। हज़ार मुश्किलें भी ज़िंदगी में आयेंगी
Read Moreसमंदर की लहर पहचानता हूँ क्या करूँ लेकिन हवा का रूख बदलना चाहता हूँ क्या करूँ लेकिन मुझे मालूम है
Read Moreबहुत सुना था नाम मगर वो जन्नत जाने कहाँ गयी हाथों में रह गयी लकीरें किस्मत जाने कहाँ गयी वक्त
Read Moreरोहित वेमुला की आत्मा के नाम कौन कहता है कि वो फंदा लगा करके मरा इस व्यवस्था को वो आईना
Read Moreझोपड़ी में हों या हवेली में सभी उलझे किसी पहेली में है कोई जो पढ़के बता देता क्या लिखा है
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