ग़ज़ल : ग़ज़ल बड़ी कहो
ग़ज़ल बड़ी कहो मगर सरल ज़बान रहे उठाओ सर तो हथेली पे आसमान रहे। हज़ार मुश्किलें भी ज़िंदगी में आयेंगी
Read Moreग़ज़ल बड़ी कहो मगर सरल ज़बान रहे उठाओ सर तो हथेली पे आसमान रहे। हज़ार मुश्किलें भी ज़िंदगी में आयेंगी
Read Moreसमंदर की लहर पहचानता हूँ क्या करूँ लेकिन हवा का रूख बदलना चाहता हूँ क्या करूँ लेकिन मुझे मालूम है
Read Moreबहुत सुना था नाम मगर वो जन्नत जाने कहाँ गयी हाथों में रह गयी लकीरें किस्मत जाने कहाँ गयी वक्त
Read Moreरोहित वेमुला की आत्मा के नाम कौन कहता है कि वो फंदा लगा करके मरा इस व्यवस्था को वो आईना
Read Moreझोपड़ी में हों या हवेली में सभी उलझे किसी पहेली में है कोई जो पढ़के बता देता क्या लिखा है
Read Moreफितरतों से दूर उसकी मुफलिसी अच्छी लगी उसका घर अच्छा लगा, उसकी गली अच्छी लगी वो पुजारी है बजाये शंख
Read Moreअमीरी है तो फिर क्या है हर इक मौसम सुहाना है ग़रीबों के लिए सोचो कि उनका क्या ठिकाना है।
Read Moreबनावट की हॅसी अधराें पे ज्यादा कब ठहरती है छुपाओ लाख सच्चाई निगाहों से झलकती है कभी जब हॅस के
Read Moreमुहब्बत टूट कर करता हूँ पर अंधा नहीं बनता खुदा से भी मै अपने प्यार एकतरफा नही करता चलो अच्छा
Read Moreहमें गुंमराह करके क्या पता वो कब निकल जाये बड़ा वो आदमी है क्या ठिकाना कब बदल जाये। ज़रूरी हो
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