फितरतों से दूर उसकी मुफलिसी अच्छी लगी
फितरतों से दूर उसकी मुफलिसी अच्छी लगी उसका घर अच्छा लगा, उसकी गली अच्छी लगी वो पुजारी है बजाये शंख
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Read Moreअमीरी है तो फिर क्या है हर इक मौसम सुहाना है ग़रीबों के लिए सोचो कि उनका क्या ठिकाना है।
Read Moreबनावट की हॅसी अधराें पे ज्यादा कब ठहरती है छुपाओ लाख सच्चाई निगाहों से झलकती है कभी जब हॅस के
Read Moreमुहब्बत टूट कर करता हूँ पर अंधा नहीं बनता खुदा से भी मै अपने प्यार एकतरफा नही करता चलो अच्छा
Read Moreहमें गुंमराह करके क्या पता वो कब निकल जाये बड़ा वो आदमी है क्या ठिकाना कब बदल जाये। ज़रूरी हो
Read Moreभेदे जो बड़े लक्ष्य को वो तीर कहाँ है वो आइना है किन्तु वो तस्वीर कहाँ है कविता में तेरी
Read Moreआइने में खरोचें न दो इस कदर खुद को अपना कयाफ़ा न आये नज़र रेत पर मत किसी की
Read Moreअमीरी है तो फिर क्या है हर इक मौसम सुहाना है ग़रीबों के लिए सोचो कि उनका क्या ठिकाना है
Read Moreगाँवों का उत्थान देखकर आया हूँ मुखिया की दालान देखकर आया हूँ मनरेगा की कहाँ मजूरी चली गई सुखिया को
Read Moreइक घडी भी जियो इक सदी की तरह जिंदगी को जियो जिंदगी की तरह रास्ते खुदबखुद ही निकल आयेंगे जब
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