ग़ज़ल
जिसे नूरे नज़र कहता था वो आंखों का धोखा थाबना फिरता था जो लखते जिगर वो ख़्वाब झूठा था गिला
Read Moreहिंदी को विश्व पटल पर लाने की ज़रूरत – क्षेत्रीय प्रबंधक सिविल लाइन सुलतानपुर स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा के क्षेत्रीय
Read Moreसांझ घिरने लगी, दीप जलने लगे बस यही कामना आप आ जाइए। और रातें किसी भांति कट भी गयीं किन्तु
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