इतना हसीं कहां मेरा पहले नसीब था
इतना हसीं कहां मेरा पहले नसीब था तुमसे मिला नहीं था जब कितना गरीब था। मेरा जो हो के भी
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Read Moreलिखावट संस्था की ओर से चर्चित कवि व ग़ज़लकार डी एम मिश्र के नये और पांचवें ग़ज़ल-संग्रह ‘लेकिन सवाल टेढ़ा
Read Moreऐसे क़ातिल से बचिए जो रक्षक भी होता है गुड़ में ज़हर मिलाने वाला वंचक भी होता है आंख बंद
Read Moreमिट्टी का जिस्म है तो ये मिट्टी में मिलेगा एहसास हूँ मैं कौन मुझे दफ़्न करेगा। तिरते हैं सफीने जो
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