ग़ज़ल
बड़े -बड़े गामा उतरे हैं दंगल में फंसा हमारा गांव चुनावी दलदल में। बड़े फख्र से कहते थे हम गांव
Read Moreमेरे हालात पे हंसने वालो फूल पैरों से कुचलने वालो अपने हाथों की लकीरें देखो बेसबब औरों से जलने वालो
Read Moreनज़र उठाये तो वो बेक़रार हो जाये ख़ुदा करे कि उसे हमसे प्यार हो जाये भले वो उसके बाद हमसे
Read Moreउधर बुलंदी पे उड़ता हुआ धुआं देखा इधर ग़रीब का जलता हुआ मकां देखा किसी अमीर ने दिल तोड़ दिया
Read Moreमारा गया इंसाफ़ मांगने के जुर्म में इंसानियत के हक़ में बोलने के जुर्म में मेरा गुनाह ये है
Read Moreचिनगारियों की सुर्ख डगर देख रहा हूं इक आग का दरिया है जिधर देख रहा हूं। बाहर से खूब जगमगा
Read Moreज़िन्दगी को समझने में देरी हुई चोट खाकर संभलने में देरी हुई हाथ पर हाथ धरकर मैं बैठा रहा उनके
Read Moreमैं तेरी सादगी पे मरता हूं तुझको दिल के करीब रखता हूं। मेरी दुनिया तुझी से रंगी है तुझ पे
Read Moreसामने गर हो किनारा तो बहुत कुछ शेष है हौसला ज़िंदा तुम्हारा तो बहुत कुछ शेष है मुश्किलें देता है
Read Moreग़रीबी से बढ़कर सज़ा ही नहीं है सुकूँ चार पल को मिला ही नहीं है कहाँ ले के जाऊँ मैं
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